उन्होंने वक़्त को ज़ख्म बनते देखा है
हमें ज़ख्म मिला तो खुदा याद आगया
उनका ज़ख्म देख के खुदा भी घबरा गया
सुना है बारिश बहुत हुई उनके टूटे आशियानों पे
लगता है उनके ज़ख्मों ने खुदा को भी रुला दिया
मेरे गुनाहों की सज़ा बस मुझे देना ऐ खुदा
मेरे अपनों को रखना मेरी मुकम्मल सजाओं से जुदा
झोली फैला के मांग रहा है तेरा बन्दा तुझसे दुआ
मेरे अपनों को रखना मुश्किलों से जुदा
मेरी आँखों से अश्क बन के मेरे गुनाहों को बह जाने दे
मुझे भी थोडा सा तू तुझको अपना ने दे
कुछ लोग मरने के लिए जीए जाते हैं
तो कुछ लोग जीने के लिए मरे जाते हैं
कुछ लोग जी जी के मरे जाते हैं
तो कुछ लोग मर मर के जीए जाते हैं .
किसी शायर ने ठीक कहा है की यही है ज़िन्दगी और यही है ज़िन्दगी की कहानी
थोडा सा बादल है और थोडा सा पानी.
मै अपनी ४ साल की बिटिया के साथ खेलता हूँ
तो मन करता है की मै भी बच्चा हो जाऊं.
वो हस्ती है हसाती है गुस्सा हो जाओ तो प्यार से मनाती है,
ज़िद्द तो कभी कभी चाँद की भी कर जाती है
मगर एक छोटा सा खिलौना पाकर चाँद को भी भूल जाती है.
मेरी डांट से रोने लगती है लड़ती है मगर पल भर में फिर मेरे साथ खेलने के लिए मेरे पास आ जाती है,.
कहती है की मस्जिद में भगवान् रहते हैं
उसको ये नहीं पता की दीवारों से भी भगवान् बटे हैं
ऐसा क्यों नहीं होता की हमारी सोच भी इन बच्चों की तरह ही हो जाए
लडें लेकिन फिर पल भर में दोस्त बन जाएं
भगवान् भी यह देख के हैरान हो गया,
इंसान भगवान् का भगवान् हो गया
तै करने लगे इंसान भगवान् का घर
भगवान् तो समझ लो बेजुबां हो गया
.कहते हैं भगवान् दिलों में रहता है
लेकिन दिल तो हम सब का कब्रिस्तान हो गया
कचहरी में भी भगवान् पेश हो गया
भगवान् तो बदनाम सरे आम हो गया
भगवान् भी यह देख के हैरान हो गया
इंसान भगवान् का भगवान् हो गया
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