Thursday, November 25, 2010 |
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आज अँधेरा है क्योंकि इंसान सो रहा है
पैसा बोल रहा है, विश्वास डोल रहा है
दिमाग चल रहा है , दिल मर रहा है
कुछ पाने की कोशिश में सब खो रहा है
मन बिक रहा है तन बिक रहा है
चित्र दीवारों पे हैं , चरित्र बिक रहा है
आज इंसान इंसान नहीं शैतान दिख रहा है
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