zakhm


हमने वक़्त के साथ ज़ख्म को भरते देखा है
उन्होंने वक़्त को ज़ख्म बनते देखा है
हमें ज़ख्म मिला तो खुदा याद आगया
उनका ज़ख्म देख के खुदा भी घबरा गया
सुना है बारिश बहुत हुई उनके टूटे आशियानों पे
लगता है उनके ज़ख्मों ने खुदा को भी रुला दिया

काश दिल के पास थोडा सा दिमाग और दिमाग के पास थोडा सा दिल होता

काश दिल के पास थोडा सा दिमाग और दिमाग के पास थोडा सा दिल होता
ना कोई बेबस होता न कोई बेवफा होता
ना बंटवारे होते ना कत्लेआम होता
ना टूटते मंदिर मस्जिद ना इंसान शैतान होता
काश दिल के पास थोडा सा दिमाग और दिमाग के पास थोडा सा दिल होता

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