Monday, November 15, 2010 |
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मेरे गुनाहों की सज़ा बस मुझे देना ऐ खुदा
मेरे अपनों को रखना मेरी मुकम्मल सजाओं से जुदा
झोली फैला के मांग रहा है तेरा बन्दा तुझसे दुआ
मेरे अपनों को रखना मुश्किलों से जुदा
मेरी आँखों से अश्क बन के मेरे गुनाहों को बह जाने दे
मुझे भी थोडा सा तू तुझको अपना ने दे
1 comments:
Con grates Baiya, you never said u started a blog....ok but try to write it in English we people can also enjoy. For your information i also started my blog of course in Tamil.
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